Thursday, November 14, 2024
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संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जा सकते हैं दो महत्वपूर्ण वित्त विधेयक, सरकार ने की तैयारी

सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector0 से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक ला सकती है. इनकी घोषणा बजट में हुई थी. इनमें से एक विधेयक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को सुगमता से पूरा करने से संबंधित है. इसके अलावा सरकार नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट (NPS) को पेंशन फंड रेग्युलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) से अलग करने के लिए पीएफआरडीए, अधिनियम, 2013 में संशोधन का विधेयक भी ला सकती है. इससे पेंशन का दायरा व्यापक हो सकेगा.

सूत्रों ने बताया कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 (Banking Regulation Act, 1949) में संशोधन संबंधी विधेयक ला सकती है. इसके अलावा बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण और उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करने की जरूरत होगी.

सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों के जरिये दो चरणों में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. अब बैंकों के निजीकरण के लिए इन कानूनों के प्रावधानों में बदलाव करने की जरूरत होगी.

अगले महीने के आखिर में शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र

संसद का एक माह का शीतकालीन सत्र अगले महीने के आखिर में शुरू होने की उम्मीद है. इस सत्र में अनुदान की अनुपूरक मांगों की दूसरी किस्त को भी रखा जाएगा. वित्त विधेयक के अलावा सरकार इसके जरिये अतिरिक्त खर्च कर सकती है.

सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Niramla Sitharaman) ने 2021-22 का बजट पेश करते समय सरकार के 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि हमारा आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के अलावा दो अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव है.

जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण के लिए सरकार को अगस्त, 2021 में समाप्त हुए मानसून सत्र में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 के जरिये संसद की मंजूरी मिल चुकी है.

सूत्रों ने बताया कि पीएफआरडीए कानून में संशोधन के बाद एनपीएस ट्रस्ट के अधिकार, कामकाज और दायित्व संभवत: परमार्थ न्यास या कंपनी कानून के तहत आ जाएंगे.

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