Friday, November 8, 2024
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15 अगस्त को भारत में हुई थी ये दर्दनाक घटना, जिसमें मारे गए थे 15 हजार से ज्यादा लोग

15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है. अगर 15 अगस्त के दिन का इतिहास देखा जाए तो हर किसी को यह दिन इसलिए याद है कि इस दिन भारत अंग्रेजों से आजाद हुआ था. लेकिन, इतिहास के पन्नों में 15 अगस्त के दिन के नाम पर एक दर्दनाक घटना भी दर्ज है. दरअसल, आजादी मिलने के तीन साल बाद साल 1950 में ही भारत इस दर्दनाक मंजर का गवाह बना. इस दिन ही भारत के असम राज्य में एक भयानक भूकंप आया था, जिसकी वजह से हजारों लोगों की मृत्यु हो गई.

1950 में स्वतंत्रता दिवस के दिन आए इस भूकंप को भारत के टॉप 10 जलजलों में से एक माना जाता है, जिससे प्रकृति से लेकर जन मानस का काफी नुकसान हुआ. यह भूकंप इतना खतरनाक था कि इससे ना सिर्फ घर-इमारत गिर गए बल्कि पहाड़, नदियों पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ा था और प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया था. ऐसे में जानते हैं इस भूकंप से जुड़ी खास बातें, जो स्वतंत्रता दिवस की सबसे दर्दनाक घटना है.

8.6 थी इसकी तीव्रता

1950 के इस भूकंप को असम-तिब्बत भूकंप के नाम से जाना जाता है. यह भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.6 मापी गई थी, जो आजाद भारत का पहला सबसे खतरनाक भूकंप था. इसका केंद्र मिश्मी हिल्स में स्थित था. कहा जाता है कि भूकंप हिमालय और हेंगडुआन पर्वत के बीच ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में आया. भूकंप भारत और तिब्बत के बीच मैकमोहन रेखा के ठीक दक्षिण में स्थित था और दोनों क्षेत्रों में विनाशकारी प्रभाव पड़ा.

इसका काफी असर तिब्बत में भी पड़ा था और वहां भी इससे काफी लोग मारे गए थे. यह 20वीं सदी का छठा सबसे बड़ा भूकंप था. यह सबसे बड़ा ज्ञात भूकंप भी है, जो किसी महासागरीय सबडक्शन के कारण नहीं हुआ है. इसके बजाय, यह भूकंप दो महाद्वीपीय प्लेटों के टकराने के कारण हुआ था. इसलिए इस भूकंप का प्रभाव काफी ज्यादा था और इसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है. इस भूकंप में असम में 15 हजार से ज्यादा, तिब्बत में 4800 से ज्यादा मौत दर्ज की गई थी.

काफी था प्रभाव

कई रिपोर्ट्स के अनुसार, मिशमी पहाड़ियों और आसपास के वन क्षेत्रों में कई चट्टानों के गिरने से काफी नुकसान हुआ था. साथ ही भूकंप से कई पहाड़ियों में भूस्खलन भी हुआ, जिससे कई गांव नष्ट हो गए और इससे ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों को रास्ता बंद हो गए. इससे नदी, पहाड़ पर काफी असर पड़ा. कई गांव भूस्खलन से बर्बाद हुए तो कई जलमग्न भी हो गए. कहा जाता है कि साल 1897 के भूकंप की तुलना में संपत्ति के नुकसान के मामले में असम का भूकंप काफी ज्यादा हानिकारक था.

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